शराबी : ओशो की नजर से
||अक्सर शराबी लोग अच्छे आदमी होते हैं ||*
मेरा बहुत से शराबियो के साथ अनुभव रहा है कि वे अच्छे आदमी होते है - बहुत कोमल , बहुत भरोसे के, चालाक नहीं होते सीधे साफ़ होते है - बच्चो जैसा निर्दोष भाव होता है। *तो क्यों वे शराब पीते है फिर ?*
संसार ज्यादा भारी हो जाता है उनके लिए; वे उसका सामना नहीं कर पाते; यह संसार बहुत धूर्त है। वे भुला देना चाहते है इसे, और वे नहीं जानते वे क्या करे -- और शराब मिल जाती है आसानी से;
*ध्यान को तो खोजना पड़ता है व्यक्ति को*
मेरे देखे : वे सब लोग जो शराबी है
उन्हें ध्यान की जरुरत होती है। वे ध्यान की खोज में होते है --- आनंद की गहरी खोज में होते है, लेकिन उन्हें कोई द्वार कोई रास्ता नहीं मिलता। अँधेरे में टटोलते हुए शराब उनके हाथ लग जाती है। बाजार में शराब से मिल जाती है ;
*ध्यान इतनी आसानी से नहीं मिलता।*
*लेकिन गहरे में उनकी तलाश ध्यान की ही होती है ....*
संसार भर में जो लोग मादक द्रव्य ले रहे है उन्हें भीतरी आनंद की ही तलाश है।
वे एक संवेदनशील ह्रदय निर्मित करने की बड़ी कोशिश करते है और उन्हें ठीक उपाय ठीक मार्ग नहीं मिलता। इतनी आसानी से नहीं मिलता ठीक मार्ग, मादक द्रव्य आसानी से मिल जाते है।
और मादक द्रव्य तुम्हे दे देते है
झूठी झलकिया; वे तुम्हारे मन में एक रासायनिक स्थिति उत्पन्न कर देते है जिसमे तुम ज्यादा तीव्रता से , ज्यादा संवेदनशील ढंग से अनुभव करना शुरू कर देते हो।
वे तुम्हे वास्तविक ध्यान नहीं दे सकते वे तुम्हे उसकी झूठी छाया दे सकते है।
ओशो...💞
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