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प्रेम दो समजदार व्यक्तिओ का : ओशो की नजर से

Osho about love



प्रेम दो समजदार व्यक्तिओ का : ओशो की नजर से


जब दो परिपक्व और समझदार व्यक्तियों के बीच प्रेम होता है तो जीवन का सबसे बड़ा विरोधाभास घटता है, एक बहुत ही सुंदर घटना घटती है दोनों साथ-साथ होते हैं लेकिन अपरिसीम रूप से अकेले। वे एक साथ होते हैं इतने गहरे जुड़े हुए कि वे लगभग एक हो जाते हैं। उनकी एकता से उनका निजी व्यक्तित्व ध्वस्त नहीं होता बल्कि वास्तविक रूप से उनकी निजता बढ़ जाती है।

दो समझदार व्यक्तियों के प्रेम से एक-दूसरे को अधिक स्वतंत्र रहने में मदद मिलती है। इसमें कोई राजनीति नहीं होती, कोई कूटनीति नहीं होती एक-दूसरे पर हावी हो जाने का कोई प्रयास नहीं होता। जिससे तुम प्रेम करते हो उसके ऊपर तुम आधिपत्य कैसे जमा सकते हो?

अपरिपक्व और गैर-समझदार लोग जब प्रेम में होते हैं तो वे एक-दूसरे की स्वतंत्रता को ध्वस्त कर देते हैं गुलामी उत्पन्न करते हैं कैद बना देते हैं। समझदार व्यक्ति प्रेम में एक-दूसरे को स्वतंत्र रहने में सहायक होते हैं। वे हर तरह से एक-दूसरे की गुलामी को समाप्त करने में एक-दूसरे की मदद करते हैं। और जब स्वतंत्र रूप से प्रेम का प्रवाह होता है तो इसमें सौंदर्य होता है। जब प्रेम का प्रवाह निर्भरता से होता है तो इसमें कुरूपता होती है।

याद रखो स्वतंत्रता का मूल्य प्रेम से अधिक है। यदि प्रेम स्वतंत्रता को नष्ट कर रहा है तो प्रेम को छोड़ा जा सकता है स्वतंत्रता को बचाना होगा। स्वतंत्रता का मूल्य अधिक है और स्वतंत्रता के बिना तुम कभी भी खुश नहीं रह सकते यह असंभव है।

स्वतंत्रता हर स्त्री-पुरूष की आंतरिक और मूलभूत इच्छा होती है, पूर्ण स्वतंत्रता और इसी स्वतंत्रता में प्रेम के फूल खिलते हैं!

 ओशो
"दि तंत्रा विज़न" पुस्तक के एक प्रवचनांश का हिंदी अनुवाद

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